Wednesday, March 24, 2010

हिसाब

आज की कमाई -
रिश्वत के छह सौ रुपये
मंदिर की भीड़ में गिरा, मैंने उठाया एक पेन,
बड़े सा'ब की शाबाशी, शायद एक दिन की छुट्टी,
दिन की तनख्वाह - पचहत्तर रुपये
दोस्त की फर्जी एंट्री करने पर कुछ बढ़ा हुआ विश्वास
भिखारी को दिए दो रुपियों के बदले मिली दुआ
छह हज़ार रुपये अगले महीने वाले 'काम' के इंतज़ाम के लिए
चार गालियाँ
बच्चों का प्यार
बीवी की थकी आँखों में खेली हलकी सी मुस्कान
खुद के अक्स के सामने नज़रें झुकाने का एक और कारण

खर्चे-
थोडा सा ईमान
दस रुपये दरगाह की चादर में, दो भिखारी के हाथ में,
पच्चीस रुपये का किराना और सब्जी,
बूट पोलिश, कल ड्यूटी के लिए - दो रुपये
कमिटी की किस्त सौ रुपये
नोट रखने के लिए दस लिफाफे, पांच रुपये
एक और दिन

नुक्सान -
छह बीड़ियों से थोड़े और खराब हुए फेफड़े
इज्ज़त
एक आतंरिक कचोट,
भगवान् से डर
और कुछ बचे हुए आखिरी सपने
एक और दिन

जोड़ा जाए तो हिसाब बराबर ही बैठता है.

2 comments:

Ashita said...
This comment has been removed by the author.
Shreyash said...

nice work man.

din ka kaccha-chittha ka hisab sahi lagaya tumnen.